
केंन्द्रापड़ा, 29.2023 : भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के अंदर मगरमच्छों की संख्या में वृद्धि केंन्द्रापड़ा जिले के लिए आतंक बन गया है।जून-जुलाई 2 माइनामे नदी के आसपास के क्षेत्र से 4 लोगों की जान चली गयी । केंद्रापडा जिले छोडकर मगरमच्छ का आतंक अब बाहरी जिलों में भी देखने को मिल रहा है । भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षित क्षेत्र के बाहर पड़ोसी भद्रक, जाजपुर और जगतसिंहपुर जिलों के नदी में मगरमच्छ देखे गए हैं। नहाते, शौच करते समय या पीने का पानी लाते समय इन भयानक जानवरों लोगों और जानवरों पर हमला कराते है। इसके विपरीत केंद्रापड़ा जिले में पिनेका पनि योजना कागजों कलम तक ही सीमित है । केंद्र व राज्य सरकार की हर घर पाइप से पानी की आपूर्ति आज तक पूरी नहीं हो सकी है । दावा किया गया है कि यदि परि योजनाओं को तुरंत क्रियान्वित किया गया तो मगरमच्छों के आतंक से कुछ राहत मिलेगी।
पिछले 2 महीने में मगरमच्छों ने 4 लोगों की जान ले ली है । यहां के बन बिभाग ने एक 13 फुट के मगरमच्छ को पकड कर राजनगर ब्लॉक के अंदर बनशगड़ी नदी में छोड़ दियागया । यह दुर्घटना तब होती है जब कोई शौच के लिए या बर्तन धोने के लिए नदी या नहर पर जाता है। वन विभाग नदी में सुरक्षित बाड़ तो लगा रहा है, लेकिन उसकी देखरेख नहीं हो पा रही है। यदि सभी के घरों में पाइप से पानी पहुंच जाता तो दुर्घटनाओं की संख्या कम हो जाती।
मगरमच्छों की संख्या अब काफी बढ़ गई है। दलदली क्षेत्र की जरूरत से ज्यादा मगरमच्छ होने के कारण वे भोजन की तलाश में विभिन्न नदी नालों में पहुंच रहे हैं । वन विभाग द्वारा की गई गणना में यह परिलक्षित नहीं होता है । क्षेत्र के लोगों को जीविका के लिए पानी की आवश्यकता है । लेकिन, इस पर न तो राज्य सरकार की नजर पड़ रही है और न ही जिला प्रशासन की. नदी के पानी का उपयोग करते समय लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है । राज्य सरकार ने बसुधा योजना के तहत हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए अनुदान स्वीकृत कर दिया है. जिले में आठ मेगा पिनेका पनि परियोजनाएं शुरू की गई हैं । लेकिन इनमें से एक भी पूरी नहीं हुई है । जल जीवन मिशन में 135 ऐसी पंचायतें चिन्हित की गई हैं जहां आज तक जलापूर्ति नहीं हुई है ।
इस संबंध में बनखंडरेंजर चितरंजन बेउरा से पूछने पर बताया कि अभी मगरमच्छों का प्रजनन काल है। इस बीच, जब उनका उत्पीड़न बढ़ रहा है ए घातक होजते हें । उन्होंने कहा कि अगले अगस्त माह से नदी तट पर तारजली घेरा का निर्माण शुरू हो जायेगा. नदी में मगरमच्छ होने के कारण यदि लोग नदी में जाने के बजाय तालाब और नलकूप के पानी का उपयोग करें तो ऐसी स्थिति उत्पन्न होने की संभावना नहीं होगी। हालाँकि, नदी किनारे के लोगों को मगरमच्छों के मुँह से बचाने के लिए निवारक उपाय करने की बार-बार माँग की जाती रही है, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया, इसलिए जनता की ओर से तीखी प्रतिक्रिया हुई है।